भाजपा के प्रख्यात नेता विजय कुमार मल्होत्रा का निधन, दिल्ली में

भाजपा के प्रख्यात नेता विजय कुमार मल्होत्रा का निधन, दिल्ली में

जब विजय कुमार मल्होत्रा, पूर्व सांसद और भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार, 1 अक्टूबर 2025 को दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज़ (AIIMS) में अपना अंतिम श्वास छोड़ा, तो देश भर में शोक का माहौल छा गया। रिपोर्टों में उम्र 93‑94 वर्ष के बीच बतायी गयी है, लेकिन इससे कम नहीं कि वह छह दशकों से अधिक समय तक भारतीय राजनीति, शिक्षा और खेल प्रशासन में एक चमकता सितारा रहे। यह निधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली में दिल्ली बीजयूपी के स्थायी कार्यालय के उद्घाटन के एक दिन बाद हुआ, जो इस क्रीमसन को और भी भावनात्मक बना देता है।

राजनीतिक सफर की शुरुआत और दिल्ली में जनसंघ

विजय कुमार मल्होत्रा का जन्म 3 दिसंबर 1931 को लाहौर (तब ब्रिटिश भारत) में हुआ था। कविराज ख़जां चंद के सात बच्चों में चौथे स्थान पर जन्मे मल्होत्रा ने 1947 के विभाजन के बाद अपने परिवार के साथ भारत प्रवास किया। वह जल्दी ही राष्ट्रवादी विचारधारा की ओर आकर्षित हुए और राष्‍ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदकर्मी बन गये। 1951 में, केवल 20 वर्ष की आयु में, उन्होंने दिल्ली जनसंघ के सचिव का पद संभाला, जिससे उनकी संगठनात्मक क्षमताओं की कसौटी पूरी हुई।

मुख्य उपलब्धियां – चुनावी जीत और प्रशासनिक जिम्मेदारियां

1967 में, केवल 35 साल की उम्र में, मल्होत्रा ने दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल के मुख्य कार्यकारी सदस्य (CEC) के रूप में कार्यभार संभाला, जो आज के मुख्यमंत्री पद के समान था। यह उपलब्धि उन्हें भारत के सबसे युवा शासकों में से एक बना देती है। 1970 के दशक में उन्होंने जम्मू‑कश्मीर के एकीकरण, गोरक्षा आंदोलन और ऐतिहासिक आपातकाल के विरोध में अग्रसर भूमिका निभाई, जिससे 19 महीने की जेल सजा मिली। ये घटनाएँ उनके दृढ़ संकल्प और राष्ट्रीय‑वादी सिध्धांतों की गूंज थीं।

जनसंघ के भीतर उनका उदय तेज़ था – 1972‑1975 तक वह दिल्ली प्रवासी जनसंघ के अध्यक्ष रहे। भाजपा के गठन के बाद, 1977‑1984 तक दो बार दिल्ली बीजयूपी के प्रमुख पद पर रहे, जहाँ उन्होंने केदारनाथ साहनी और मादन लाल खुराना जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर पार्टी की नींव को मज़बूत किया। पाँच बार संसद का सदस्य और दो बार विधायक रह चुके मल्होत्रा ने 1999 के आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बड़ी धक्के से हराया, जो उनकी राजनैतिक शक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण था। 2004 में, कांग्रेस के सातों सीटों पर कब्जा जमाने के बीच, वह दिल्ली में अकेले बीजेपी प्रत्याशी के रूप में सीट बचाने में सफल रहे।

खेल प्रशासन में यात्रा – तीरंदाज़ी का जनक

राजनीति के साथ-साथ मल्होत्रा ने खेल क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। 1973 से 2015 तक वह आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAI) के अध्यक्ष रहे, जिससे उन्हें "भारतीय तीरंदाज़ी के जनक" के ख़िताब से सम्मानित किया गया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर स्वर्ण पदक जीतना शुरू किया। उनके योगदान को मान्यता देते हुए, भारत ने 2013 में उन्हें पद्म श्री से नवाज़ा। 1974 के तेहरान एशियन गेम्स में भारतीय टोलियों के चेफ‑डि‑मिशन के रूप में उन्होंने युवा खिलाड़ियों के लिए एक नया मंच तैयार किया।

2010 के कोमस कॉमनवेल्थ गेम्स के बाद भारत के खेल प्रशासन का प्रतिमान धूमिल हो गया था। उस समय, वह भारतीय ओलंपिक एशोसिएशन (IOA) के अंतरिम अध्यक्ष बने और अपने साफ‑सुथरे प्रबंधन शैली से संगठन को फिर से स्थिर किया। उनका यह दौर छोटा था, लेकिन उन्होंने संगठन में भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका निभाई। बाद में वह IOA के जीवन अध्यक्ष बने, जिसके तहत उन्होंने कई युवा क्रीडाकारों को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर कदम रखने के लिए प्रेरित किया।

विपरीत राय और श्रद्धांजलि

विपरीत राय और श्रद्धांजलि

दिल्ली बीजयूपी ने उनके निधन पर "सरलता और जनसेवा का एक उदाहरण" कहा और पार्टी के भीतर उनके योगदान को "संस्थाओं के निर्माता" के रूप में सराहा। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा, "वह केवल नेता नहीं, बल्कि कई कर्ता‑कर्ताओं के जीवन में मार्गदर्शक प्रकाश थे।"

इसी बीच, विपक्षी दलों के नेता भी उनके व्यक्तिगत जीवन की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा अपनी राजनीति को साफ‑सुथरा और जनता के हित में रखा। दिल्ली बीजयूपी अध्यक्ष वीरेन्द्र साधेवा और पार्लियामेंट मामलों के मंत्री किरेन रिजिजु, दोनों ही पूर्व में आर्चरी एसोसिएशन के कार्यकारी सदस्य रहे, ने स्मृति‑समारोह में उनके शैक्षिक और खेल‑प्रशासनिक कार्यों को उजागर किया।

भविष्य की आवाज़ – उनका असर अब भी जीवित

मल्होत्रा की मृत्यु के बाद, कई युवा कर्ता‑कर्ताओं ने कहा कि वह "आदर्श नेता" थे, जिन्होंने राजनीति, शिक्षा और खेल को एकजुट किया। उनका जीवन‑पथ यह दर्शाता है कि कैसे दृढ़ विचारधारा, कड़ी मेहनत और जनता‑सेवा के प्रति समर्पण से भारतीय लोकतंत्र को पनपाया जा सकता है। भविष्य में जब भी दिल्ली बीजयूपी का नया प्रमुख चयन होगा, उनका अनुभव और सिद्धांत मार्गदर्शन करेंगे।

Frequently Asked Questions

विजय कुमार मल्होत्रा की मृत्यु का बीजेपी के दिल्ली यूनिट पर क्या असर होगा?

उनके निधन से दिल्ली बीजयूपी में अनुभवी नेतृत्व का अंतराल पैदा होगा, परन्तु पार्टी ने पहले ही युवा कर्ता‑कर्ताओं को प्रशिक्षण देने की योजना बनायी है, जिससे इस विघटन को कम किया जा सकेगा।

आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया में उनके योगदान से अब कौन से पहलू बदलेंगे?

मल्होत्रा ने जो बुनियादी ढांचा तैयार किया था, वह अब नई पीढ़ी के अध्यक्षों द्वारा डिजिटल प्रशिक्षण एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को तेज़ करने के लिये इस्तेमाल किया जाएगा।

क्या उनका निधन भारतीय राजनीति में कोई वैचारिक बदलाव लाएगा?

विपक़्षा नहीं, बल्कि उनका वैचारिक स्थिरता और अनुशासन भविष्य के नेताओं में प्रेरणा बनकर रहेगा; इसलिए कोई बड़ा वैचारिक परिवर्तन अपेक्षित नहीं है।

दिल्ली में उनके निधन के बाद किन स्मारक कार्यों की योजना है?

दिल्ली बीजयूपी ने उनके नाम पर एक शैक्षिक संस्था और एक तीरंदाज़ी प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है, ताकि उनकी विरासत को सदा जीवित रखा जा सके।

क्या उनका निधन भारतीय खेल प्रशासन में किसी बड़े बदलाव का संकेत है?

उनके शांतिपूर्ण शासक शैली के कारण, भारतीय ओलंपिक एशोसिएशन (IOA) अब अधिक पारदर्शी एवं युवा‑केन्द्रित बन रही है, जिससे भ्रष्टाचार पर नियंत्रण में और सुधार होने की संभावना है।

विजय कुमार मल्होत्रा भारतीय जनता पार्टी आर्चरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया दिल्ली पद्म श्री
Swati Jaiswal
Swati Jaiswal
मैं एक समाचार विशेषज्ञ हूँ और भारतीय दैनिक समाचारों पर लेख लिखना पसंद करती हूँ।
  • Vibhor Jain
    Vibhor Jain
    1 अक्तू॰ 2025 at 19:04

    देखा, एक और आयु का आंकड़ा और इतिहास का एक और पन्ना बंद हो गया।

  • Rashi Nirmaan
    Rashi Nirmaan
    1 अक्तू॰ 2025 at 21:51

    विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन राष्ट्रीय सेवा का सच्चा उदाहरण है और उनका योगदान भारतीय राजनीति में अनमोल है

  • Ashutosh Kumar Gupta
    Ashutosh Kumar Gupta
    2 अक्तू॰ 2025 at 00:38

    उनकी उँची उँची उपलब्धियों के पीछे छिपी अंधेरी पक्षभूमि को भी उजागर करना आवश्यक है क्योंकि प्रत्येक महान नेता की कहानी में दो पहलू होते हैं

  • Swetha Brungi
    Swetha Brungi
    2 अक्तू॰ 2025 at 03:24

    विलासिता और समर्पण का मिश्रण ही उन्हें इतना विशिष्ट बनाता है। उनका कार्यक्षेत्र राजनीति से लेकर खेल प्रशासन तक फैला था, जिससे कई क्षेत्रों में ठोस कदम उठाए गए। शिक्षा में उनका योगदान अक्सर नज़रअंदाज़ हो जाता है, परन्तु वह छात्रों के भविष्य को संवर्धित करने में अहम भूमिका निभाते थे। आज की युवा पीढ़ी को उनके सिद्धांतों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

  • Govind Kumar
    Govind Kumar
    2 अक्तू॰ 2025 at 06:11

    बिलकुल सही कहा, उनका संतुलन और धैर्य आज के लिए एक मॉडल है।

  • Rashi Jaiswal
    Rashi Jaiswal
    2 अक्तू॰ 2025 at 08:58

    विजय कुमार मल्होत्रा जैसे पद्म श्री पदधारी ने राष्ट्र की खोखली बातों को नहीं बल्कि ठोस कर्मों से भर दिया था

  • Hariprasath P
    Hariprasath P
    2 अक्तू॰ 2025 at 11:44

    yeh sabdekh k lagta h ki koi bhi badi cheez bina mehnat ke nhi milti

  • fatima blakemore
    fatima blakemore
    2 अक्तू॰ 2025 at 14:31

    याद रखो कि उनका योगदान सिर्फ राजनीति तक सिमित नहीं था बल्कि उन्होंने खेलों को भी नई दिशा दी है, यह सब हमें एकजुट रखता है

  • vikash kumar
    vikash kumar
    2 अक्तू॰ 2025 at 17:18

    वह न केवल तैनातकर्ता बल्कि रणनीतिक विचारक भी थे, जिससे भारतीय तीरंदाज़ी में नया युग आया

  • Anurag Narayan Rai
    Anurag Narayan Rai
    2 अक्तू॰ 2025 at 20:04

    विजय कुमार मल्होत्रा का जीवन भारतीय लोकतंत्र की जटिलताओं को समझने का एक अद्वितीय केस स्टडी है।
    उनके शुरुआती दिनों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्य करना उनके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण को आकार दिया।
    दिल्ली जनसंघ में उनका सचिव पद उन्हें प्रशासनिक कुशलता सिखाता, जिससे बाद में उन्होंने कई बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं।
    वह केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक शैक्षिक सुधारक भी थे, जिसने कई शैक्षणिक संस्थानों को आधुनिकीकरण की राह प्रदर्शित की।
    तीरंदाज़ी में उनके योगदान ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया।
    उन्होंने आर्चरी एसोसिएशन को पेशेवर रूप से संगठित किया, जिससे कई युवा खिलाड़ी विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने लगे।
    उनका कार्यकाल भारतीय ओलम्पिक एसोसिएशन में भ्रष्टाचार दूर करने में निर्णायक रहा।
    उन्होंने पारदर्शिता के सिद्धांतों को अपनाया और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाया।
    कई युवा कर्ता‑कर्ता अभी भी उनके नेतृत्व शैली से सीखते हैं और उन्हें प्रेरणा मानते हैं।
    उनका वैचारिक स्थिरता आज भी पार्टी के भीतर एक मापदंड बना हुआ है।
    दिल्ली बीजयूपी में उनका अनुभव नई पीढ़ी को दिशा देने में महत्वपूर्ण रहेगा।
    उनके निधन के बाद भी उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं कार्यरत हैं और नई पहलों को जन्म दे रही हैं।
    उनका नाम अब सिर्फ इतिहास में नहीं, बल्कि वर्तमान में भी जीवंत है, क्योंकि उसका प्रभाव अभी भी महसूस किया जाता है।
    भविष्य में जब भी पार्टी के भीतर नेतृत्व का प्रश्न उठे, उनके सिद्धांत निरंतर मार्गदर्शन करेंगे।
    अंत में कहा जा सकता है कि उनका जीवन‑पथ इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि दृढ़ संकल्प और जनता‑सेवा का मिलन राष्ट्र को ऊँचा उठा सकता है।

  • Sandhya Mohan
    Sandhya Mohan
    2 अक्तू॰ 2025 at 22:51

    सच में, उनका दर्शन हमें आत्मनिरीक्षण की ओर प्रेरित करता है और यही हमें आगे बढ़ाता है

  • Prakash Dwivedi
    Prakash Dwivedi
    3 अक्तू॰ 2025 at 01:38

    उनकी छाया में बिताए गए समय ने मेरे विचारों को गहराई से परिवर्तित किया और मुझे नई दिशा दी

  • Rajbir Singh
    Rajbir Singh
    3 अक्तू॰ 2025 at 04:24

    उनका काम अच्छा था पर हर काम में कुछ कमी रह जाती है यही सच्चाई है

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